Vaahan Ke Vaahak

Vaahan Ke Vaahak

नियति के कठपुतले दो, निर्धारित पथ पर जाते है
मैं पीछे बैठा हूँ और भैया दुपहिया चलाते हैं
सुहाना मौसम, सुहाना सफर और मन भी बड़ा सुहाना
सुगम, सरल और बड़ा सुविध,चले अपना सफरनामा

एक घंटा भी अभी हुआ नहीं
और हमारी समझ में आएगा
बकरे की माँ सी खैर मना लो
यह वक़्त भी गुज़र जायेगा

सरपट सैर कराती गाड़ी ने सहसा धरा है मौन
क्या हो गयी समस्या इस में, हम में से जाने कौन?
फ्यूल-मीटर पर दृष्टि जो हमने डाली
30 प्रतिशत ईंधन! कहाँ है टंकी खाली?
खराब ग्रामोफोन रेकॉर्ड के जैसी हालत हुई थी उसकी
30 प्रतिशत पर अटक गई थी सुस्त सी सुई इसकी

इस मशीनी विश्वासघात के पश्चात
कहाँ हैं विकल्प बचे हमारे पास?
माथे को मत पीटो
घसीटो और घसीटो!
गुरु-ग्रास के हैं ग्राहक हम
वाहन के हैं वाहक हम

वाहन के वाहक

निराशा के घनघोर मेघों में से
आशा की एक किरण जगी
सौ दो सौ मीटर की दूरी में
नज़र पेट्रोल पम्प पर पड़ी
खुशी खुशी और तेज़ी से
गाड़ी को उस तक सरकाया हमने
और सहायता के कुटिल वेश में 
धोखा दोबारा खाया हमने
राहत के सारे वचन थे झूटे और थे सब वो जाली
पेट्रोल पम्प बंद पड़ा था, अक्खा सुनसान और खाली

घसीटो घसीटो
अब माथा न पीटो
गुरु-ग्रास के है ग्राहक हम
वाहन के है वाहक हम

4 किलोमीटर का लंबा सफर
मुश्किल से  निबटाया हमने
2 दिन का रिकॉर्ड टूट पड़ा जब
खुद ही के पसीने में नहाया हमने

खराब मीटर की मरम्मत का निश्चय कर के
हमने दुर्गम पथ नाप लिया
एक थकी सी मुस्कान तले
सारी थकावट को ढाँक लिया
गुरु-ग्रास के थे ग्राहक हम
वाहन के थे वाहक हम

-by Lalit Naidu

Related Posts

Mobile

Phalli Pujan

Comments

Leave a reply

Social Media

Newsletter

pinoffence