प्रोटीन प्राप्ति की योजना लेकर दफ्तर में मैं आया
२०० ग्राम फल्लियाँ लेकर माइक्रोवेव तवे पर बिठाया
२ मिनट की योजना दे कर किसी से लगा गपियाने
उछल उछल कर भुनते रहे, मूँग फल्ली सयाने
न जाने किस कारण से माइक्रोवेव को १ मिनट और बढ़ाया
और समय का सर्वोच्च उपयोग करने दूसरे कमरे में आया
जब मैं जोशीला बस्ते रूपी डम्बल से डोले बना रहा था
रंगभेद-विरोधी फल्लियों में अफ्रीकी सौंदर्य छा रहा था
व्यायाम अभी अधूरा ही था कि एक अलौकिक सुगन्ध छायी
दुर्भाग्यपूर्ण दुर्गन्धित परिस्थिति मेरी समझ में आयी
जली हुई मूँगफल्लिओं ने कुछ ऐसा आतंक मचाया
आते जाते लोगों ने कॉरिडोर से ही मूड और नाक बिचकाया
एक व्यक्ति, दो व्यक्ति, फिर अनेकों ने आपत्ति जताई
तब अपनी जान व प्रतिष्ठा बचाने झट मैंने योजना बनायी
महीनों से भुलाये गए परमात्मा की अचानक फिर याद आयी
फल्ली-पूजन की गज़ब की एक विधि मैंने उपजायी
अगरबत्तियों का एक मोटा गुच्छा मैं कहीं से उठा लाया
कोयले-सी फलियों के क्रोध से बचने, उन सब को जलाया
धीरे धीरे फैलती खुशबू ने दिलाई मेरे दिल को राहत
फल्ली-पूजन की अजब विधि ने घटायी मेरी घबराहट
कमरे के भीतर तो मामला ठीक हुआ, अब जाना था बाहर
कॉरिडोर से हटा देने को, अति-भुनी बदबू की चादर
हर तरफ नज़र फिराकर मैं था रुकता और फिर भागा सा
गलियारे में जादू टोना करते लगता दढ़ियल-बाबा सा
अगरबत्तियों को पीठ पीछे छिपाए काटे कई मैंने चक्कर
जैसे तैसे मन को बहलाता, जप जप कर अक्कड़ बक्कड़
ऐसे अपने कमरे से बढ़कर; भगवन से जुड़ा परिसर का भी नाता
जब फल्ली-पूजन का प्रसाद मैंने दफ्तर की; तीसरी मंज़िल भर में बाँटा
इस धार्मिक स्कैंडल ने सफलता की तब मुहर पायी
जब तेज़-नाक वाले मेरे साहिब से
सिर्फ अगरबत्ती पर हैरानी जतायी!
दुर्घटना स्थल वाले कुर्सी वाली मैडम फिर पधारी
मुझे देख कर मुस्कुराकर करने लगी इंक्वाईरी
"क्यों नायडू जी? ये सब आपने क्या और क्यों कर डाला'?
"अब पूजा में कोई हर्ज़ ही क्या है?" था मेरा चेहरा मासूम वाला
"ओहो! पूजा किनकी?काली काली ख़ाक मूँग फल्ली की?
उत्तर में हाज़िर थी निरुत्तर; मेरी वो मुस्कान झल्ली सी
40 प्रतिशत प्रोटीन से हाथ धो बैठा, किस्मत से कुछ अनबन थी
ऐसे विकसित हुई अटपटी पर रोचक; विधि फल्ली पूजन की
एडवेंचर की पर खुशी थी; चेहरे पर चमक थी बचपन सी
ऐसे विकसित हुई अटपटी पर रोचक; विधि फल्ली पूजन की
- by Lalit Naidu